शोभना सम्मान - २०१३ समारोह

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

चोर (लघु कथा)


चित्र गूगल बाबा से साभार
    ड्यूटी अफसर ने होमगार्ड को बुलाया और पूछा, “छज्जूमल हफ्ते भर से डी.ओ. रूम से लगातार पैन गायब होते जा रहे हैं, कहीं तू तो नहीं उठाकर ले जाता है”?
छज्जूमल ने अपनी आँखें नम करते हुए बोला, “साब चाहे जो इल्जाम लगाना पर चोरी का दोषी मत ठहराना”.
ड्यूटी अफसर कड़क आवाज में उससे बोला, “तो फिर पैन के क्या पंख लगे हुए थे, जो उड़कर कहीं और चले गए”?
होमगार्ड ड्यूटी अफसर की बात सुनकर मुस्कराते हुए बोला, “अरे साब मजाक अच्छा कर लेते हैं. एक बात कहूँ. कुछ दिनों से एक महिला टीचर अपने मोबाइल खोने की शिकायत लेकर आ रही हैं.कहीं वो ही तो...”
ड्यूटी अफसर ने छज्जूमल को डांटा, “चुपकर एक टीचर पर चोरी का इल्जाम लगाता है. टीचर को चोर बना दिया, कल मुझे ही चोर बना देगा. अब तेरी जिम्मेवारी है, तुझे कल तक पता लगाना है, कि पैन का चोर आखिर कौन है”?
छज्जूमल ड्यूटी के दौरान पूरे दिन चोर पकड़ने की तरकीब खोजता रहा.
अगले दिन महिला टीचर अपने खोए हुए मोबाइल फोन के बारे में ड्यूटी अफसर से पूछताछ करने फिर आईं और कम्प्लेंट लिखने के बाद ड्यूटी अफसर को देने के पश्चात जब जाने को हुई तो आदतानुसार डी. ओ. रूम में रखे पैन को अपने बैग में डालने लगीं, लेकिन इस बार उन्हें असफलता मिली. उन्होंने देखा, कि पैन एक धागे से बंधा हुआ है. ड्यूटी अफसर और छज्जूमल टीचर को देखकर खड़े-खड़े मुस्कुरा रहे थे. टीचर यह देखकर शरमा गईं और अपने भुलक्कड़ स्वभाव के लिए माफ़ी मांगकर उन्होंने अपने बैग की जाँच की, तो उसमें उन्हें डी.ओ. रूम से भूल से रखे पैन मिल गए. उन्होंने उन सभी पैनों को अपने बैग से निकालकर ड्यूटी अफसर को वापस कर दिए.
ड्यूटी अफसर ने महिला टीचर के जाने के बाद छज्जूमल की पीठ ठोंकते हुए कहा, “शाबाश छज्जूमल तूने आखिर चोर को खोज ही लिया”. 


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